हम तुम से मिले
हम तुम से मिले
जब कोई अपना था
कोई देख लेना हमे
ये डर लगा रहता था
यूँ ही अकेले हम दोनों
कई सपने हम संजोते थे
ले हातों में हातों को
कई मीलों तक चलते थे
अब भी हैं वो हम में
गुमसुम सा मासूम सा
खोया खोया सा
सोया सा हम में कंही
चलो छूट ने से पहले
ये वक्त गुजरने से पहले
पकड़लो वही हाता मेरा
फिर उसी रास्ते में निकलें
हम तुम से मिले .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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