Advertisement

हम तुम से मिले


हम तुम से मिले

हम तुम से मिले
जब कोई अपना था
कोई देख लेना हमे
ये डर लगा रहता था

यूँ ही अकेले  हम दोनों
कई सपने हम संजोते थे
ले हातों में हातों को
कई मीलों तक चलते थे

अब भी हैं वो हम में
गुमसुम सा मासूम सा
खोया खोया सा
सोया सा हम में  कंही

चलो छूट ने से पहले
ये वक्त गुजरने से पहले
पकड़लो वही हाता मेरा
फिर उसी रास्ते में निकलें

हम तुम से मिले  .....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

Post a Comment

0 Comments