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मेरे बगल में


मेरे बगल में

जब आप मेरे बगल में चलते हो
तब सब चलता रहा है मेरा अपने आप
ये करिश्मा था की आप थे साथ मेरे
लेकर मेरा हात साथ अपने हातों में
जब आप मेरे बगल में चलते हो

अर्धनिद्रित अवस्था  में भी तुम
ना जाने कैसे मुझे देख मुस्कुरा जाती हो
उस घड़ी का सदा इन्तजार रहता है मुझे
जब थका मैं शाम तुम दरवाजा आ खुलती हो
जब आप मेरे लिए दरवाजा खुलती हो

मुझे जोड़  रखा तेरे विश्वास ने तुम संग ऐसा
जब तुम अपने हातों से मेरा हात पकड़ती हो
मुझे यकीन था  कि मैं सबकुछ खो बैठता , पर अब
निश्चित हूँ मैं जब से दिया अपना हात मैंने  तेर हातों में
तुम बेफिक्री में भी अपने से उसे छूटने नहीं देती हो

मेरे बगल में यूँ ही चलती चलो तुम सदा यूँ ही
निरंतर बढ़ता रहे  हम दोनों का ये प्रवाह यूँ ही
मुस्कराती हुई स्नेह जताती हुयी उम्रभर यूँ ही
हक  अपना जतना ना भूलना तुम मुझ पर यूँ ही
लौटा आऊंगा थका हारा हर शाम मैं घर यूँ ही

जब आप मेरे बगल में चलते हो

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
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