तेरी एक मुस्कान ही यूँ तो किसी के भी संग बैठकर दो पल हँसना-बोलना बचाना अच्छा लगता है यूँ तो .... अकेले हैं आए भी अकेले जाना भी अकेले है तो क्यों कर के अखरता है ऐ अकेलापन यूँ तो .... खुशियों के संग जिंदगी के रंग धरती पर बिखरें यंहा वंहा सवाल है ऐ एकाकीपन क्यों ना पाता वो निर्जनता पार यूँ तो .... चिर देती है तेरी रुसवाई ऐ सीना …
Read moreअपने से अभी शांत नहीं बस मौन हूँ पूछता हूँ अपने से कौन हूँ सुलगाने दो जलेंगे देर तक बुझती आग हूँ अभी शांत नहीं तपिश है बस निराशा नहीं मांगता हूँ हक़ हताश नहीं मोम ने बस दरारें भरी आंखें बंद है सोया नहीं अभी कोई मेरा पता नहीं ढूंढता हूँ खुद से खफा नहीं ऐ तन्हाई मेरी अनमोल है सुकून है मुझे तुम्हे संकोच है बालकृष्ण डी ध्यानी देवभ…
Read moreवो ख़ुशी बिखरे पड़े हैं समेट लो जितना समेटना चाहते हो उतना लपेट लो मन की आंखें खोलो जरा जैसे देखना उसे देख लो पास तुम्हारे हैं ,वो साथ तुम्हारे हैं बिखरे पड़े हैं समेट लो बस महसूस ना करो जी लो उन संग जो नजरें कितने प्यारे हैं उतना ही काफी है बिखरे पड़े हैं समेट लो आँखों में उतार लो साँसों में उसे संवार लो इन हातों लेकर हात …
Read moreकिसी ने तुम्हे कह दिया किसी ने तुम्हे कह दिया और तुमने उसे मान लिया कभी मुझसे पूछा नहीं और मुझे पहचान लिया मैं धीर गंभीर समंदर सा सब कुछ चुप हंसकर पी गया मेरा हृदय को तुम ने ऐसे छुआ की वो टूटकर चूर हुआ सबसे ऊंचा आकाश है और तुमने उसे मान लिया कभी तुम ने मुझे ठीक परखा ही नहीं और मेरी गहराइयों को माप लिया सागर में सबसे अधिक खारा पानी है…
Read moreतू पुकारेगा जरूर किस काम की नहीं अब रह गई है तू आंखों में इन्तजार बस दे गई है तू साँसों की रफ्तार में खोजा था साथ तेरा हातों से छोड़ा कर हात अकेला छोड़ गई है तू तन्हा इतनी होगी तू क्यों ना ये जान पाया आखरी सफर था शायद आकर गुजर गई कैसे भरोसा करूँ तुझ पर करीब तू आएगी जरूर किसी ना किसी बहाने अपने साथ ले जायेगी जरूर कैसे अपना वाद मुझ…
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