बैठने दो बैठने दो दो घड़ी अपने पास इतना हक दो कि बस पूछ सकूं तुम क्यों हो उदास ? जो कुछ है वो क्षणिक है आया गुजर जाएगा बहने दो उसे बस अपने निशान वो छोड़ जाएगा रोक सकता नहीं बस पूछ सकता हूँ नन्ही कलियाँ तोड़ तुम्हारे बलों में क्या मैं सजा सकता हूँ प्यार यही है मुस्कुराती रहो सदा धूप आशाओं की बनकर आँगन मेरा यूँ ही खिल खिलाती रहो …
Read moreकाफल टिपकर चांद तारे तो तोड़कर इतनी दूर से तो मैं नहीं ला सकता अपने पहाडों से काफल टिपकर इस बार ऐ पहाड़ी तुम्हे जरूर खिला सकता चांद तारे तो तोड़कर ....... नारंगी बैगनी हरे रंग की बस एक झुरमुट हो तुम दिल में यूँ ही सदैव रहोगी तुम तुमसे जो हमे इतनी उल्फत है चांद तारे तो तोड़कर ....... गोल रसीली खटि- मीठी सी ललचाते पुकार रही है आ जाओ…
Read moreभिगो देती हैं ....... भिगो देती हैं वो प्रेम की बौछारें तेरी इस कदर..हमे इस कदर पन्ने भी तेरे ऐ सोच भी तेरी किताबें भी खुद ही खुद हो गई अब तेरी इस कदर..इस कदर सुना है इस दुनिया से यूं असर डाला है तुम ने मैं रहा ना किधर इस कदर..इस कदर भिगो देती हैं ....... बहुत आसान है अब पहचान उसकी उसने काह हम इंसान हैं किताब नही इस कदर..इस कदर …
Read moreतेरी एक मुस्कान ही यूँ तो किसी के भी संग बैठकर दो पल हँसना-बोलना बचाना अच्छा लगता है यूँ तो .... अकेले हैं आए भी अकेले जाना भी अकेले है तो क्यों कर के अखरता है ऐ अकेलापन यूँ तो .... खुशियों के संग जिंदगी के रंग धरती पर बिखरें यंहा वंहा सवाल है ऐ एकाकीपन क्यों ना पाता वो निर्जनता पार यूँ तो .... चिर देती है तेरी रुसवाई ऐ सीना …
Read moreअपने से अभी शांत नहीं बस मौन हूँ पूछता हूँ अपने से कौन हूँ सुलगाने दो जलेंगे देर तक बुझती आग हूँ अभी शांत नहीं तपिश है बस निराशा नहीं मांगता हूँ हक़ हताश नहीं मोम ने बस दरारें भरी आंखें बंद है सोया नहीं अभी कोई मेरा पता नहीं ढूंढता हूँ खुद से खफा नहीं ऐ तन्हाई मेरी अनमोल है सुकून है मुझे तुम्हे संकोच है बालकृष्ण डी ध्यानी देवभ…
Read moreवो ख़ुशी बिखरे पड़े हैं समेट लो जितना समेटना चाहते हो उतना लपेट लो मन की आंखें खोलो जरा जैसे देखना उसे देख लो पास तुम्हारे हैं ,वो साथ तुम्हारे हैं बिखरे पड़े हैं समेट लो बस महसूस ना करो जी लो उन संग जो नजरें कितने प्यारे हैं उतना ही काफी है बिखरे पड़े हैं समेट लो आँखों में उतार लो साँसों में उसे संवार लो इन हातों लेकर हात …
Read moreकिसी ने तुम्हे कह दिया किसी ने तुम्हे कह दिया और तुमने उसे मान लिया कभी मुझसे पूछा नहीं और मुझे पहचान लिया मैं धीर गंभीर समंदर सा सब कुछ चुप हंसकर पी गया मेरा हृदय को तुम ने ऐसे छुआ की वो टूटकर चूर हुआ सबसे ऊंचा आकाश है और तुमने उसे मान लिया कभी तुम ने मुझे ठीक परखा ही नहीं और मेरी गहराइयों को माप लिया सागर में सबसे अधिक खारा पानी है…
Read moreतू पुकारेगा जरूर किस काम की नहीं अब रह गई है तू आंखों में इन्तजार बस दे गई है तू साँसों की रफ्तार में खोजा था साथ तेरा हातों से छोड़ा कर हात अकेला छोड़ गई है तू तन्हा इतनी होगी तू क्यों ना ये जान पाया आखरी सफर था शायद आकर गुजर गई कैसे भरोसा करूँ तुझ पर करीब तू आएगी जरूर किसी ना किसी बहाने अपने साथ ले जायेगी जरूर कैसे अपना वाद मुझ…
Read moreक्या बोलते हैं क्या बोलते हैं पहाड़ क्या बोलते हैं सुन लो ना मेरे यार क्या बोलते हैं कुछ अलग लिखने चला हूँ मैं आज क्या बोलते हैं पहाड़ क्या बोलते हैं रचा जिसने इन्हे धरा पर उसे नित मेरा प्रणाम क्या बोलते हैं पहाड़ क्या बोलते हैं ऊँचा हुआ वो हिस्सा बरसों का वो किस्सा क्या बोलते हैं पहाड़ क्या बोलते हैं मन बस जाते हैं रह रहकर याद आत…
Read moreबस यादें दे गई जिंदगी जिंदगी ने खेल ऐसा खेला बस हार ही हार मिली ना शिकवा रहा अब किसी से ना गिला करने कोई मिला गलत ना समझना तुम मुझको मैंने भी बहुत प्यारा किया तुमको दांव बिछा कर ऐसा खेल,खेल गई अब उम्र भर अकेले रह गई जिंदगी झूठी हंसी का हुनर अब वो हमे भी खूब समझा गई जिंदगी मरहम की कसम मरहम न मिला उस दर्द से हमे मार गई जिंदगी जब अब …
Read moreअपने गाँव की ओर चलो चलें फिर अपने गाँव की ओर नहीं लगता,नहीं लगता,नहीं लगता मन अब इस ओर ....... चलो चलें हसीन वादियों में खुशगवार नजारों में पहाड़ पर बर्फ बिछी होगी चांदी ही चांदी हर तरफ बिखरी होगी ....... चलो चलें फिर अपने गाँव की ओर नहीं लगता मन अब इस ओर ....... चलो चलें रौनक जँहा लगी होगी मौसम अपने पुरे मिजाज में होगा जंहा कोई …
Read moreमेरे बगल में जब आप मेरे बगल में चलते हो तब सब चलता रहा है मेरा अपने आप ये करिश्मा था की आप थे साथ मेरे लेकर मेरा हात साथ अपने हातों में जब आप मेरे बगल में चलते हो अर्धनिद्रित अवस्था में भी तुम ना जाने कैसे मुझे देख मुस्कुरा जाती हो उस घड़ी का सदा इन्तजार रहता है मुझे जब थका मैं शाम तुम दरवाजा आ खुलती हो जब आप मेरे लिए दरवाजा खुलती हो मुझे…
Read moreहम तुम से मिले हम तुम से मिले जब कोई अपना था कोई देख लेना हमे ये डर लगा रहता था यूँ ही अकेले हम दोनों कई सपने हम संजोते थे ले हातों में हातों को कई मीलों तक चलते थे अब भी हैं वो हम में गुमसुम सा मासूम सा खोया खोया सा सोया सा हम में कंही चलो छूट ने से पहले ये वक्त गुजरने से पहले पकड़लो वही हाता मेरा फिर उसी रास्ते में निकलें हम तुम…
Read more
Social Plugin