Advertisement

क्या बोलते हैं



क्या बोलते हैं

क्या बोलते हैं पहाड़
क्या बोलते हैं
सुन लो ना मेरे यार
क्या बोलते हैं

कुछ अलग लिखने चला
हूँ मैं  आज
क्या बोलते हैं पहाड़
क्या बोलते हैं

रचा जिसने इन्हे  धरा पर
उसे नित मेरा प्रणाम
क्या बोलते हैं पहाड़
क्या बोलते हैं

ऊँचा हुआ वो हिस्सा
बरसों  का वो किस्सा
क्या बोलते हैं पहाड़
क्या बोलते हैं

मन बस जाते हैं
रह रहकर याद आते हैं
क्या बोलते हैं पहाड़
क्या बोलते हैं

मेरा विश्वास है तू
तू ही मेरी आस  है
क्या बोलते हैं पहाड़
क्या बोलते हैं

शब्द  झूठ नहीं बोलते कभी
तू ही शरीर  तू  ही मेरा प्राण है
क्या बोलते हैं पहाड़
क्या बोलते हैं

सच को सच कहने के लिए
खड़े रहते हैं वो , वो ही मेरा पहाड़ है
क्या बोलते हैं पहाड़
क्या बोलते हैं

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

Post a Comment

0 Comments